खेल मनोविज्ञान जैसा कि शब्द से ही पता चल रहा है दो शब्द इस में जुड़े हुए हैं एक खेल अथवा क्रीड़ा दूसरा मनोविज्ञान यानी कि खेल से संबंधित मनोविज्ञान मनोविज्ञान के अंतर्गत हम मानव व्यवहार का अध्ययन करते हैं वैसे ही खेल मनोविज्ञान के अंतर्गत हम खिलाड़ी के व्यवहार का अध्ययन करते हैं व्यवहार बहुत सी चीजों पर प्रभावित होता है आपके व्यवहार को प्रभावित करने वाले प्रमुख बिंदु निम्नलिखित है
- वंशानुक्रम
- वातावरण
- जलवायु
- खानपान
- जीवनशैली
- वैयक्तिक गुण
- परिवार कुटुंब
- पाठशाला
- आस-पड़ोस
- रहन सहन
- समाजिक वातावरण
- प्रशिक्षण एवं सुविधाऐं
सबसे पहले आपके व्यवहार पर आपके वंशानुक्रम का प्रभाव पड़ता है कहा गया है “जाके जैसे नदी नवारे ताके तैसे भरीका”
जाके जैसे बाप मताई ताके तईसे लरका“
तात्पर्य यह है कि अपने पूर्वजों अपने पुरखों और अपने मां बाप के वंश के गुण अवगुण दोनों बच्चे में रहता है जिसको हम जींस या DNA भी कह सकते हैं और वह कहीं न कहीं हमारे व्यवहार को प्रभावित करता है और हम उसी के आधार पर अपने भविष्य का कमोवेश निर्माण करते हैं जैसे देखा गया है कि अधिकतर खिलाड़ियों के बच्चे भी खेलों में सहभागिता करते हैं और उन्हीं खेलों में सहभागिता करते हैं जिन खेलों में उनके पिता या माताजी ने प्रतिभाग किया हो यह भी देखा गया है उच्च कोटि के प्रदर्शन करने वाले खिलाड़ियों की दूसरी पीढ़ी और तीसरी पीढ़ी भी अगर उनको सही प्रशिक्षण और मार्गदर्शन मिले तो उच्च कोटि के खिलाड़ी बनते हैं यह वंशानुक्रम का प्रभाव है खिलाड़ी पर
वही वातावरण भी बहुत महत्वपूर्ण है जिसके बारे में हम कह सकते हैं वंशानुक्रम के गुणों को उभारने और वंशानुक्रम के अवगुणों को दूर करने का काम वातावरण करता है वातावरण का मतलब जलवायु से नहीं है वातावरण को व्यापक रूप में हमें देखना होगा वातावरण सृष्टि पर जो कुछ भी है सभी वातावरण के अंतर्गत आता है वातावरण को हम परिवार कुटुंब आस-पड़ोस और समाज जहां पर आप रह रहे हो वहां के सामाजिक वातावरण जलवायुे प्राकृतिक वातावरण खानपान आदि भी वातावरण के अंर्तगत आते हैं और मनुष्य को प्रभावित करते हैं यही खिलाड़ी के लिए भी कहा जा सकता है व्यक्ति का अपना इनविजिबल पर्सनालिटी वैयक्तिक गुण भी बहुत मायने रखता है जिसको अपन व्यक्ति के व्यक्तिगत गुण कहते हैं जो उसको अपने आपकी अलग पर्सनालिटी व्यक्तित्व बनाने में सहयोग करती है इसीलिए देखा गया है की दो जुड़वा बच्चों मे भी आपस में कहीं ना कहीं गुणों और चेहरे मे थोड़ा बहुत अंतर मिलता है और वही उसके अर्जित गुण होते हैं जो व अपने व्यवहार अपने वैयक्तिक व्यक्तित्व इंडिविजुअल पर्सनालिटी से अर्जित करता है समाज परिवार पाठशाला आस-पड़ोस और कुटुंब इनके गुणों का भी खिलाड़ी पर प्रभाव पड़ता है आपने देखा होगा कि जिन क्षेत्रों में जिस खेल के ज्यादा खिलाड़ी होंगे या इतिहास में जहां पर जो खेल ज्यादा खेला जाता होगा वहीं पर उस खेल के अच्छे खिलाड़ी निकलते हैं छोटी-छोटी जगहो से लेकर हम बड़ी जगह तक पहुंचे तो आप देखिएगा कि हमारे आसपास के जिलों में कुछ क्षेत्र ऐसे होते हैं जहां पर उसी खेल के खिलाड़ी अच्छे निकलते हैं जिन खेलों को गांव मे खेला जाता है उदाहरण के लिए मैं रीवा मध्यप्रदेश परीक्षेत्र का रहने वाला हूं रीवा परिक्षेत्र में सिरमौर त्योथर वाला जो पहाड़ी और तराई का क्षेत्र है वहां पर अधिकतर खिलाड़ी वालीबाल और कबड्डी के निकलते हैं इसके अलावा रीवा में क्रिकेट की सुविधा पहले से रही है तो वहां पर क्रिकेट के खिलाड़ी एवं तैराकी के खिलाड़ी भी निकलते हैं
प्रयागराज में बैडमिंटन जिमनास्टिक एथलेटिक्स थ्रो एवं हॉकी में ज्यादातर खिलाड़ी राष्ट्रीय स्तर पर उभर कर आए हैं पंजाब हरियाणा में जो शारीरिक बल के खेल हैं उनमें अच्छे खिलाड़ी निकलते हैं दक्षिण भारत में एथलीट सबसे अच्छे निकलते हैं बास्केटबॉल तैराकी और एथलेटिक्स में अंतरराष्ट्रीय स्तर पर अमेरिका के खिलाड़ियों का कई सालों तक दबदबा रहा है तो कहने का मतलब यह है की जिस क्षेत्र में जिस देश में जिन खेलों को प्रारंभ से खेला जा रहा है उनके खिलाड़ी स्वाभाविक रूप से अच्छे निकलते हैं यह वातावरण का प्रभाव है मुझे लगता है की संक्षिप्त में आप लोगों ने खेल मनोविज्ञान के अर्थ को सरल व सामान्य भाषा में समझ लिया होगा
अंत में खेल मनोविज्ञान के अर्थ का सार संक्षेप यह है कि
जिस तरह मनोविज्ञान मानव व्यवहार का अध्ययन करता है
उसी प्रकार खेल मनोविज्ञान खिलाड़ी व्यवहार का अध्ययन करता है
यह खेल मनोविज्ञान के अर्थ का सार संक्षेप है